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अन्तर्निहित पूर्णता ही शिक्षा.....

शांति एवं करूणा के अग्रदूत महात्मा बुद्ध ने कहा था ‘‘आत्म दीपो भवः’’ अर्थात् अपने दीपक स्वयं बनो। सार्वकालिक सार्थक ये विचार मानव मात्र को प्रेरित करने में समर्थ हैं। छात्राओं को प्रारंभ से ही यह मानना चाहिए कि अपने अटूट आत्म-विश्वास एवं निश्चय से वे समय को झुकाकर अपने अनुरूप ढ़ाल सकती हैं। ईश्वर प्रदत्त  गुण जैसे ममता करूणा, स्नेह, समर्पण, धैर्य आदि को ध्यान में रखते हुए समाज में रहकर वे स्वयं ही प्रयास करें तो उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी। अपने गुणों के कारण ही समाज में स्त्रियों को ज्ञान और शक्ति का प्रतीक माना जाता हैं। नारी अस्मिता की श्रेष्ठता को ध्यान में रखते हुए महाकवि जयशंकर प्रसाद ने लिखा हैं :-

नारी! तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास रजत नग पगतल में
पीयूष स्रोत सी बहा करो
जीवन के सुन्दर समतल में।

हम देख रहे हैं कि समय चक्र नेे तेजी से पलटा खाया हंै, वर्तमान में व्याप्त चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करन के लिए महिलाओं की आत्म निर्भरता समय की महत्वपूर्ण मांग बन गई हैं। हमारा यह मानना हैं कि प्रत्येक छात्रा में प्रतिभा होती हैं और इनमें छुपी प्रतिभाओं की अभिव्यक्ति शिक्षा सहनशीलता एवं स्वावलम्बन से ही संभव हैं। युवा शक्ति के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानन्द ने कहा भी हैं कि ‘‘शिक्षा मनुष्य में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति हैं।’’ विषम से विषम परिस्थितियों में भी शिक्षा, मनुष्य में साहस उत्पन्न करके मनुष्य को उनके विरूद्ध लड़ने की शक्ति प्रदान ही नहीं करती हैं अपितु हमारे विवेक को भी जागृत करती हैं।

स्त्री शिक्षा के महत्त्व के संदर्भ में राधाकृष्णन आयोग ने लिखा हैं- ‘‘शिक्षित महिलाओं के बिना शिक्षित व्यक्ति नहीं हो सकते। यदि सामान्य शिक्षा, पुरूषों या स्त्रियों तक सीमित रखनी हो तो यह अवसर स्त्रियों को प्रदान किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में शिक्षा निश्चित रूप से आगामी पीढ़ी को हस्तान्तरित की जा सकेंगी।’’ ऐसे ही उच्च विचारों से प्रेरित राजस्थानी युवक परिषद ने ‘‘बिनानी कन्या महाविद्यालय’’ के रूप में एक ऐसा नारी शिक्षा रूपी दीपक समाज को थमाया, जिसने शहर के भीतरी भाग के अशिक्षा के अन्धकार को मिटाकर चारों ओर शिक्षा की रोशनी बिखेर दी। उस दीपक के प्रकाश से अन्धकार में छिपे हीरे जगमगा उठे और उनकी जगमगाहट ने विभिन्न क्षेत्रों में अपना प्रकाश फैलाया। कहीं आर.ए.एस. एवं प्रवक्ता के रूप में कहीं शिक्षक एवं सांख्यिकी ऑफिसर के रूप में तो कहीं पुलिस, रक्षा सेवाओं एवं कम्प्यूटर के क्षेत्र में विभिन्न पद प्राप्त कर उन्होंने न केवल अपने परिवार का अपितु महाविद्यालय का नाम भी रोशन किया। विभिन्न पदों पर सुशोभित इन छात्राओं पर महाविद्यालय परिवार को गर्व हैं।

छात्राओें की योग्यता एवं प्रवक्ताओं के प्रयास से महाविद्यालय के सभी संकायों के परीक्षा परिणाम संख्यात्मक एवं गुणात्मक दोनों ही दृष्टियों से श्रेष्ठता के आसमान को छूते रहे हैं। श्रेष्ठता की ये ऊँचाइयाँ भविष्य में भी कम नहीं होगी एवं छात्राओं के कॅरियर निर्माण के लिए भी महाविद्यालय पूर्णतः सजग हैं।

यही महाविद्यालय का दृढ़ संकल्प हैं।

हम चाहते हैं कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की उत्तम बातों को आधुनिक उत्कृष्ट ज्ञान  के साथ समन्वित कर सकें। हम आधुनिक ज्ञान इस प्रकार अर्जित करेें कि टैक्नोलोजी पर हमारा आधिपत्य रहे, हम उनकी गुलामी एवं दासता न स्वीकारें।

मुझे पूर्ण विश्वास हैं कि छात्राएँ महाविद्यालय की अक्षुण्ण परम्पराओं का निर्वहन करते हुए अपेक्षित एवं उपलब्ध संसाधनों यथा समृद्ध पुस्तकालय, अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित गृहविज्ञान, संगीत, कम्प्यूटर लैब, विस्तृत खेल मैदान का सदुपयोग करते हुए योग्य व्याख्याताओं एवं आगन्तुक विद्वानों के सम्यक् मार्गदर्शन द्वारा अपने मानसिक बौद्धिक व चारित्रिक विकास के साथ जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सफल बनेंगी।

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ-